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Thursday, February 22, 2018

CHANGE/बदलाव hindi story-Changes are impotent in life,/jeevn me parivartan jroory hain

"Your Life Does not Get Better by CHANCE, 



      It Gets Better by CHANGE"       


                                                             -     Jim Rohn                                                  


       परिवर्तन प्रकृति का नियम है, यह बात जानते तो सब हैं लेकिन कितने लोग इस नियम के साथ खुद को भी समय के साथ बदलते हैं! शायद बहुत कम लोग!




     इन्सान शारीरिक व मानसिक रूप से पहले से विकसित हो गया है और अभी भी हो रहा है, यही तो परिवर्तन है जो हमे पहले से अधिक बेहतर बनाता है.


    अगर इन्सान में परिवर्तन न होता तो किसी के हाथ में मोबाइल न होता, किसी के पास T. V., फ्रिज, लाइट, कंप्यूटर, गाड़ी, अच्छा खाना और भी बहुत सी चीजे नहीं होती और इन्सान आज भी जंगलों में घूम रहे होते,




हमारी आदतें, सोच, व्यवहार, नजरिया, मानसिकता आदि सभी हमारे वातावरण से प्रभावित होती हैं, बचपन से लेकर अब तक हम किस माहौल में रहे, कैसे परिवार में पले, कैसे हमारे दोस्त है, स्कूल का माहौल कैसा था/है, समाज का नजरिया कैसा है, अर्थात हमारा पूरा वतावरण हम पर हर प्रकार से प्रभाव डालता है, और हम अपने वातावरण के अनुसार ही एक ढर्रे में ढल जाते हैं और उसी की according व्यवहार करते हैं,



  

     कुछ अच्छी और कुछ बुरी आदतें, सोच हमारे अंदर घर कर जाती हैं, अक्सर अधिकतम लोगों के सोच अपने निजी स्वार्थों या ज्यादा से ज्यादा अपने परिवार के हित तक सीमित हो गई है,जिससे वे उसी की according व्यवहार भी करते रहते है.






हमारे अंदर बदलाव करने की शक्तियां अथाह मात्रा में मौजूद हैं, जिसका यदि 1% भी प्रयोग किया जाय तो खुद को पूरी तरह बदलकर एक भिन्न इन्सान बन सकते हैं, हम पूरी तरह से सकारात्मक इन्सान बन सकते हैं, बशर्ते की हम खुद को बदलने के लिए तैयार हों!




    'The Power Of Your Subconscious Mind' के लेखक जोसेफ मर्फी के अनुसार खुद को 2 लोगों में बाँट दीजिये, एक आपका वर्तमान स्वरुप और दूसरा आपका मनचाहा स्वरुप,

     हर इन्सान अपने आप को अपने वर्तमान स्वरूप से बेहतर देखना चाहता है तो अभी से खुद को अपने मनचाहे स्वरूप में ढालने में जुट जाएँ.



     इसे एक कहानी द्वारा समझते हैं.....



 एक युवा अपनी जिन्दगी से बहुत परेशान था, दरअसल उसके जीवन में वही होता आ रहा था जो अब तक हो रहा था यानि हर जगह असफलता और निराशा, वह सोचता की मैं तो अपने आप में बेहतर कोसिस करता हूँ फिर भी मुझे हमेशा असफलता क्यों मिलती हैं, धीरे-धीरे बहुत ही निराश और ह्तोत्सहित रहने लगा, समय बीतता गया लेकिन उसके हर जगह असफलता वाले परिणामों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा,


   अंत में वह एक महात्मा के पास गया और बताया- "गुरूजी मैं जहाँ भी जाऊ, जो भी कार्य करूं मैं हमेशा असफल होता हु, समय बीत रहा है लेकिन मेरे जीवन में कुछ नहीं बदल रहा, आज से 10 साल पहले जिस प्रकार मैं अधिकतम कामों में असफल होता था आज भी होता हु आखिर मेरी किस्मत इतनी बुरी क्यों है"


   महात्मा ने उसे एक छन्नी दी और उसमे पानी भरकर लाने के लिए कहा, वह आश्चर्यचकित था की छन्नी में कैसे पानी भर सकता है, फिर भी वह सामने वाले तालाब में गया और पानी भरने लगा वह कोशिस करता लेकिन जैसे ही वह छन्नी उठता पानी निचे गिर जाता और छन्नी खाली हो जाती, अंत में वह महात्मा के पास गया है, "गुरूजी  ये कैसा मजाक है आप मुझे छन्नी में पानी लाने के लिए कह रहे हैं लेकिन यह असम्भव है, फिर महात्मा ने उसे बाल्टी  दी और उसमे पानी भरने को कहा, थोड़ी ही देर में वह पानी भरके ले आया,

   महात्मा बोले कुछ समझे, वह नासमझी में अपना सिर खुजाने लगा, फिर महात्मा बोले ये छन्नी नकारात्मक विचारों का प्रतीक है जो तुम्हारे अंदर मौजूद हैं चाहे तुम नकारात्मक विचारों के साथ कितनी भी कोशिस कर लो तुम्हारे जीवन में सकारात्मक नहीं हो सकता, अपना बर्तन बदलो यानि सकारात्मक विचारों को अपनाओ, अच्छी सोच विकसित करो, यानि अपने अंदर परिवर्तन करों, फिर देखो तुमारी जिन्दगी कैसे बदलती है,




  लडके को सब समझ आ गया की सफल होने के लिए उसे खुद में बदलाव करने होंगे, अगर हमेशा समान प्रयास किये जाते रहेंगे तो समान परिणाम आयेंगे.


     अपने अन्दर की बुराई, डर, चिंता, नफरत, तनाव, लालच, इर्ष्या, अहंकार आदि नकारात्मक विचार त्यागकर प्रेम, दया, उम्मीद, सृजनात्मकता, ऊर्जा, शक्ति, उत्साह, धैर्य, मेहनत आदि सकारात्मक गुणों को अपना लो, रोज अपने नये स्वरूप को पाने के प्रयास करो एक दिन आप वैसे ही बन जाओगे, 



    'जो इन्सान खुद को समय के साथ नहीं बदलता वह दूसरों की तुलना में पिछड़ जाता है.' 



  आइये खुद को थोडा सा बदलें...


अक्सर हम सोचते है की हमे बहुत अधिक बदलाव की जरूरत है और हम खुद को बहुत ज्यादा बदलने में लग जाते हैं जो की बहुत मुश्किल काम है और हम हारकर उसे बीच में ही छोड़ देते है, इससे अच्छा है की हम थोड़े से सुरुवात करें और धीरे-धीरे करके खुद को पूरा बदल दें,



"आप ही एकमात्र व्यक्ति हैं जो खुद को बदल सकते हैं"


                                                                       जोसेफ मर्फी 


1. अपनी आदतें बदलें- 


    हमारे अंदर बहुत सी ऐसी आदते बन चुकी होती हैं जो कहीं न कहीं हमारे करियर में, हेल्थ में और रिश्तों पर बुरा प्रभाव डालती हैं इन्हे बदलने के बारे में तो सोचते हैं लेकिन बदल नहीं पाते, तो चलिए आज इसकी सुरुआत करते हैं,


 बहुत सारी आदतों को एक साथ बदलने के बजाय किसी एक आदत को चुन लें ( जैसे मुझे हमेशा खुस रहना है या हर काम तुरंत करना है,)

  और उसे ही बदलने पर फोकस करें जब वह आदत पूरी तरह बदल जाय, तो दूसरी आदत को चुने और उसे बदलें, फिर तीसरी और धीरे-धीरे अन्य आदतें बदलें,

एक बार में केवल एक या दो ही आदत को बदलने पर फोकस करें. इससे आपके लिए यह काम आसान हो जायेगा.


      ये भी पढ़ें...तनाव बढने के 4 नये कारण और उनके समाधान




2. अपनी सोच बदलें 


 " हमारा जीवन वो है जो हमारे विचार इसे बनाते हैं"
    
                                                                    Marcus Aurelius

        आदते बदलने के बारे में तो बहुत लोग सोचते हैं लेकिन सोच बदलने के बारे में कम ही लोग सोचते हैं,


  अपनी छोटी, संकीर्ण सोच से बाहर निकलिए एक बड़ी सोच रखिये,

  जिस सोच में आपके रिश्तों के लिए जगह हो, आपकी रूचि/ पसंद के        लिए जगह हो,

  आपकी योग्यता के लिए जगह हो,

खुद के प्रति आत्मविश्वास हो,

करियर और जिंदगी के अन्य फैसले खुद ले,

आप खुस रहने का विकल्प चुने और आप किसी भी प्रकार से दूसरों पर निर्भर न हों,

सोच इतनी बड़ी हो की आपको अपनी खूबियों और कमियां अच्छे से मालूम हों और अपनी खूबियों का इस्तेमाल कब और कैसे करना है आप अच्छे से जानते हों,

अपनी योग्यता और रूचि के हिसाब से खुद के लिए हजारों करियर आप्शन देखने की सोच हो, और उनमे से बेहतर को चुनने की हिम्मत,
तो यकीनन आपकी बड़ी सोच आपको बहुत आगे ले जाएगी. 




3. पहनावे में थोड़ा परिवर्तन करें

आप अपने पहनावे व style में हल्का सा परिवर्तन करके खुद के आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं, आपके पहनावे से आपके व्यक्तित्व पर काफी असर पड़ता है,
अगर आप अपने पहनावे से comfort नहीं हैं तो यह आपके आत्मविश्वास को कम कर देगा, इसके विपरीत अच्छे और comfort पहनावे व स्टाइल से आपका आत्मविश्वास बढ़ जायेगा.


4.नजरिया बदलें  

     
"सफलता के लिए नजरिया उतना ही जरूरी हैं, जितनी काबिलियत"- 
                                                                               
                                                                                      वाल्टर स्काट 

   १. सकारात्मक नजरिया अपनाए,

  २. हर बात पर परेशान होने के बजाये कुछ पलों में हल्की फुल्की कॉमेडी ढूंढे और चीजों का मजा लें,  

  ३.अपने नजरिये में थोडा सा बदलाव करके हम अपनी जिन्दगी को हल्का फुल्का और मजेदार बना सकते हैं,

 ४.अन्य लोगों में अच्छाई ढूंढे और जरूरत पड़ने पर उनकी तारीफ भी करें,

 ५.जरूरतमंद लोगों की मदद करें, इससे आपको अंदर से सच्ची ख़ुशी महसूस होगी,
  

 ६.अपने लिए प्रेरक और उत्साहवर्धक माहौल ढूंढे, प्रेरित करने वाले और सकारात्मक रहने वाले दोस्तों के साथ रहें,

 ७. अपना काम नापसंद करने के बजाय उसमे रूचि लें, काम को बोझ के बजाय एक अवसर समझे और ख़ुशी से करने की कोशिस करें.

८. बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करने का हर सम्भव प्रयास करें.



    'नजरिया एक चश्मे की तरह है, जिस प्रकार काले रंग का चश्मा पहनने पर, हमे सब कुछ काला दिखाई देता है और लाल चश्मे से सब लाल दिखाई देता है, इसी प्रकार नकारात्मक नजरिये से हमे हमारे चारों तरफ निराशा, दुःख व असंतोष ही दिखाई देता है और सकारात्मक नजरिये से हमे आशा, खुशियाँ व संतोष ही नजर आएगा. यह हम पर निर्भर करता हैं की हम कौन से रंग का चशमा पहनना पसंद करते हैं.'


जीवन में परिवर्तन के फायदे
     
   1.  रचनात्मकता बढती है,

   2.  आत्मविश्वास बढ़ता है, 

   3.  ऊर्जावान व उत्साही होते हैं, 

   4.  सकारात्मकता बढती है, 

   5.  learning attitude/ सीखने का नजरिया बनेगा,

   6.  comfort Zone से बाहर निकलने में मदद मिलेगी. 



            दोस्तों खुद को हमेशा प्रेरित करने वाले लोगों के बीच रखें, प्रेरक किताबें पढ़े, प्रेरक स्पीच सुने, जिससे आप हमेशा प्रेरित रहेंगे और अपने काम के प्रति उत्सुक और जागरूक रहेंगे.

      "अधिकतम लोग इसलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि उनको प्रेरक और उत्साहवर्धक माहौल नहीं मिल पाता"

Sunday, February 18, 2018

new cause of stress in hindi/तनाव बढने के 4 नये कारण और उनके समाधान

"Smile, Smile, Smile at your mind as often as possible,
Your smiling will considerably reduce your mind's tearing tension."
                                                                                                                          -Sri chinmoy 



वैसे तो तनाव के कारण बहुत से हैं, जैसे नींद न आना, अस्त-व्यस्त दिनचर्या, फ़ास्ट फ़ूड, आर्थिक तंगी, खराब रिश्ते, खराब सेहत, किसी अपने को खोना वगैरह वगैरह... 



       ये कारण तो लगभग सभी जानते हैं, लेकिन आजकल कुछ कारण ऐसे पैदा हुए हैं जिनमे ज्यादातर लोग डूबे हुए हैं लेकिन उनको उससे पैदा होने वाले तनाव रूपी जहर का जरा भी अंदाजा नहीं है,

खुद को और दूसरों को प्रेरित करना क्यों जरूरी है!



1. न्यूज़ -

        आपको सुनने में अजीब लगे लेकिन आजकल लोगों के तनाव बढ़ाने में न्यूज़ बहुत अधिक जिम्मेदार हैं, आजकल की अधिकतम न्यूज़ अपराध, भ्रस्टाचार, राजनीतिक बहस, धार्मिक बहस, जातिगत नफरत, धार्मिक नफरत, आत्महत्या, सीमाओं पर तनाव, नफरत फ़ैलाने वाले बयानों आदि से भरी पड़ी होती हैं, जिन्हें सुनकर, पढकर या देखकर नकारात्मकता फैलती है, 



        सबसे ज्यादा तनाव बढ़ाने वाली ख़बरों में किसी धर्म, जाति आदि के नाम पर बहस, जिनकी न कहीं सुरुआत होती है न कहीं अंत, बस देखने वाले का समय जरूर बर्बाद होता है और लोगों में मन में दूसरे धर्म, जाति आदि के लिए नफरत पैदा होती है, इससे हमारे अवचेतन मन पर बहुत ही गलत असर पड़ता है खासकर बच्चों के कोमल मन पर जिन्हें सही गलत की समझ नहीं होती, वो नकारात्मकता की तरफ बढने लगते हैं,




       इनमे खेलों, अच्छी चीजों पर ज्ञान, सकारात्मक चीजों आदि के लिए कोई खास जगह नहीं होती ज्यादा से ज्यादा खेलों में क्रिकेट से सम्बन्धित खबरे ही चलती हैं, बाकि अन्य खेलों की खबरे न के बराबर ही रहती हैं, 



      समाधान  

      किसी भी समस्या का कारण जानना ही उसके आधा समाधान के बराबर है, क्योंकि जब कारण पता होगा तभी समाधान भी निकला जा सकता है, यकीनन नकारात्मक न्यूज़ पढने/सुनने से तो नकारात्मकता ही फैलेगी, 

          तो क्या न्यूज़ देखना छोड़ दें?


    जी नहीं,  आप लोग कुछ ऐसे न्यूज़ चैनल देख सकते हैं जिसमें मसाला कम और अच्छी खबरें ज्यादा हों,

    आप मेरी तरह DD न्यूज़ देख सकते हैं, इसमे आपका न तो ज्यादा समय बर्बाद होगा और न ही आपके अंदर नकारात्मकता घुस पायेगी, बल्कि बहुत ही कम समय में आपको DD न्यूज़ से सारी दुनिया की सही खबरें मिल जाएँगी साथ ही देश के अंदर जो कुछ भी खबरें हैं उनका अच्छे से ज्ञान हो जायेगा बिना फालतू की बहस के,

       DD न्यूज़ में अच्छे मुद्दों पर जो देश हित में है पर discussion होते है जो ज्ञान और जानकारी को बढाती है,  मैं किसी न्यूज़ चैनल की न तो समर्थक हु न ही बिरोधी, जो मुझे सही लगा मैंने आपसे शेयर किया, अन्य न्यूज़ चैनलों में भी कुछ अच्छी खबरें आती होगी आप उन्हें भी देख सकते हैं.

       

  सोशल मीडिया 

सोशल मीडिया पर जहाँ बहुत से लोग अपना समय बर्बाद करतें हैं वही बहुत से लोग इसका प्रयोग अपने business बढ़ाने, अपने काम को बढ़ाने और जरूरत मंद कामों के लिए भी करते हैं, कई लोग जरूरी जानकारियां आदान प्रदान करने के लिए करते हैं, और कई लोग पैसा कमाने में भी करते हैं, 

आपको खुद की तरफ देखना होगा आप किस कैटगरी में आते हैं?


        अधिकतम लोग सोशल मीडिया का प्रयोग केवल टाइम पास के लिए करते हैं, और इन्ही लोगों में से बहुत से लोग खासकर युवा, अपने विचारों को नकारात्मक बनाने में, खुद की मानसिकता व सोच को संकीर्ण करने और खुद के तनाव को बढ़ाने में करते हैं, अब आप पूछेंगे... 


      सोशल मीडिया से तनाव कैसे बढ़ता है?


       आजकल हर जगह जाति, धर्म, सम्प्रदाय, राजनीतिक पार्टी आदि के नाम पर अलग-अलग संगठन बने हुए हैं, जो सोशल मीडिया पर हमेशा सक्रिय रहते हैं, 


      जाने अनजाने लोग खुद को इन संगठनों का हिस्सा समझने लगते हैं, वो खुद को उस संगठन का हिस्सा मान लेते हैं जिस जाति, धर्म आदि से वो सम्बन्धित होते हैं, और अब उस पेज पर कुछ सही या गलत बाते शेयर हो वे उसे ही सच मान लेते हैं और उसके अनुसार अपने अंदर नफरत बढ़ाते रहते हैं और फिर यहीं से होती है नकारात्मकता की सुरुआत, 


     कोई भी पेज देखलो, उसमे गाली-गलोज, नफरत भरे कमेंट्स भरे पड़े होते है, किसी भी नफरत वाले comment का जवाब देना कई लोग अपना सबसे महत्वपूर्ण कार्य समझते हैं, यहाँ तक की कई अच्छे विषयों से सम्बन्धित पेज पर भी ये लोग अपनी नफरत और frustration उडेलना नहीं भूलते.


        दूसरा कई बार हम सोशल मीडिया में इतने डूब जाते हैं की हमारे परिवार या करीबी किसी को हमारी जरूरत होती है लेकिन हम उसकी मदद करने के बजाय फोन में घुसे पड़े रहते हैं, ठीक ऐसा ही हमारे साथ भी होता है जब हमे किसी करीबी की जरूरत होती है लेकिन वह भी अपने आप में मग्न रहता है, ऐसे में जरूरत के वक्त हम खुद को अकेला महसूस करते हैं जिससे तनाव बढने की काफी सम्भावना होती है.
     

      आजकल लोग जब परिवार या दोस्तों के साथ होते है उस समय फ़ोन के अंदर घुसे होते हैं लेकिन जब उन्हें किसी वजह से अकेले रहना पड़ता है, तब उन्हें अपने परिवार और दोस्तों की याद आती है. यकीनन तब उन्हें अकेलेपन का अहसास होता है.



समाधान 

   सोशल मीडिया का प्रयोग करना बिलकुल भी बुरा नहीं हैं अगर उससे आपके अन्य कार्यों और रिश्तों व दिमाग पर कोई बुरा असर नहीं होता, या अगर आप इसका प्रयोग अपनी जरूरत के लिए कर रहें हैं तो, लेकिन अगर आप इसके दुस्प्रभाव में हैं तो आपको सतर्क होने की आवश्यकता है,



    अगर आपने नफरत फ़ैलाने वाले pages को like किया है और आप भी इसी अंधी दौड़ में सामिल होकर अपना समय और मानसिकता बर्बाद कर रहे हैं, तो तुरंत ही ऐसे pages से खुद को अलग कर दीजिय, और दूसरों के कमेंट पढना बंद कीजिये क्योंकि अधिकतर comments केवल नकारात्मकता से भरे होते हैं, 


       और ऐसे pages को like कीजिये जो आपके अंदर सकारात्मकता भर दें, आपको सोशल मीडिया पर अपने समय को कम कर देना चाहिए, और जो समय आप इन चीजो में बर्बाद करते हैं उसे अपने महत्वपूर्ण कामों में लगाइए इससे आपके अंदर आत्मविश्वास और सकारात्मकता का विकास होगा. 


    आप अगर किसी के नफरत भरे comment का जवाब नहीं देंगे तो ये दुनिया खत्म नहीं हो जाएगी, गलत कमेंट करने से आप भी उन्ही लोगों जैसे बन जायेंगे अत: फालतू की बहस का हिस्सा न बनें.


      नफरत की जगह प्रेम चुने याद रखें हर धर्म, जाति,देश में अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं, अत: लोगों से प्रेम करें बिना किसी भेदभाव के. अपने परिवार के लोगों के समय दें, खासकर जब वे किसी समस्या में हों, क्योंकि आपके सोशल sites पर जितने भी फ्रेंड्स हों जरूरत पड़ने पर सिर्फ आपके करीबी व परिवार के लोग ही आपकी मदद करेंगे.


     कोई पोस्ट डालकर उसमे लाइक्स ही न गिनते रहें यह आपकी सोच को संकीर्ण कर देगा, इन सब चीजों से ऊपर उठें यह दुनिया बहुत बड़ी और बहुत खुबसूरत है, एक मोबाइल में सिमटकर न रहें अपनी गर्दन उठाइए, ऊपर देखिये और जिन्दगी का मजा लीजिये.


   सोशल मीडिया से अच्छा आप कोई स्पोर्ट्स खेल सकते है.



SAD SONG-


       कभी-कभी किसी sad song को मजे के लिए सुनना कोई गलत नही है, लेकिन उस गाने में डूब जाना, खुद को उससे relate कर करके खुद दुखी होते जाना, और फिर खुद से तनाव पैदा करना, सिवाय बेवकूफी के और कुछ नहीं है,



    कई बार हम किसी समस्या में पड़ जाते हैं, उससे परेसानी होती है तो कई लोग उस समस्या का समाधान करने के बजाय sad song सुन सुनकर खुद को और दुखी कर रहे होते है और फिर कहते हैं की मेरी तो किस्मत ही खराब है, मेरे साथ ही एसा क्यों होता है...


आप खुद अपनी परेशानियाँ बढ़ा रहें हैं जिस समय आपके पास मौका है अपनी समस्या सुलझाने का आप उस समय को बर्बाद कर रहे हैं.



समाधान 


   जब आप किसी समस्या, परेशानी में हों या दुखी हो, ऐसे समय में sad song न सुने,यदि कोई गाना सुनना जरूरी ही है तो motivational song सुने इससे आपके अंदर नई ऊर्जा का संचार होगा और आपका दिमाग अधिक सकारात्मक होगा ऐसी स्थिति में तुरंत अपनी समस्या के समाधान में जुट जाएँ, कोई भी समस्या आपके अंदर की शक्ति से बढकर नहीं हो सकती, खुद की आंतरिक शक्ति पर विश्वास कीजिये और अपनी समस्या का समाधान कीजिये.



4. काम में अरुचि 

अक्सर आजकल अधिकतम युवा अपनी पसंद का करियर चुनने के बजाय ऐसा करियर चुन लेते हैं जो उन्हें पसंद नहीं है, अपने दोस्तों, परिवार वालों, समाज आदि के according वो अपना कार्य चुन लेते हैं,


       चूँकि जो काम किसी की पसंद का न हो तो उसे करने में ज्यादा कोशिस करनी पड़ेगी, ज्यादा ध्यान लगाना पड़ेगा, ज्यादा थकावट महसूस होगी और सबसे बुरा बोरियत आएगी, और कोई भी काम हो वह और मुश्किल तब हो जाता है जब हमे हर परिस्थिति की आलोचना करने और उसमे कमियां ढूँढने की आदत पड जाती है.


  समाधान 

इस समस्या के 2 समाधान हैं, एक जो पसंद है वही करियर चुनों या दूसरा जो करियर चुन लिया है उसे ही पसंद कर लो,

    १. जो काम आपको पसंद है उसी काम से related करियर चुने, अब आप कहेंगे की मुझे पसंद तो बहुत कुछ है तो क्या चुनु, आपको अपनी पसंद और रूचि को समझना होगा आप किस काम को करने में ख़ुशी महसूस करते हैं यह समझना होगा,

   
     साथ ही देखना होगा की आप उस काम के कितने योग्य है, यदि किसी काम में आपको रूचि और योग्यता दोनों हैं तो फिर उसी से सम्बन्धित करियर चुनिए. ऐसे में सफलता हासिल करना काफी आसान हो जाता है.


   २. यदि आप पहला option नहीं चुन पाए और आपको कोई ऐसा करियर चुनना पड़ा जिसमे आपकी कोई रूचि नहीं है तो आपको उसी में अपनी रूचि पैदा करनी होगी, रूचि पैदा करना कोई बहुत मुस्किल कार्य नहीं है,


  सबसे पहले अपनी परिस्थितियों की आलोचना करना बंद करें और खुद को चैलेंज दें की आप उन परिस्थितियों में कितने अच्छे से अपना काम कर सकते हैं, 

  दूसरों से खुद की तुलना करने के बजाये, अपने आप पर गर्व कीजिये, और जितना हो सके अपना best करने का प्रयास करें, अपने आप से या दूसरों से कभी न कहें की यह काम कितना बोरिंग हैं बल्कि खुद से कहें की यह बहुत interesting  है, मुझे इसे करने में मजा आता है, चाहे वह आपको कितना भी बोरिंग लगता हो, यदि आप उसे रोज मजे का कहकर करते हैं तो धीरे-धीरे आपको उस काम में ही interest आने लग जायेगा.


short में तनाव के 4 नये कारण

1. न्यूज़ 
2. सोशल मीडिया
3. sad song
4. काम में अरुचि 



     इसके अलावा भी बहुत से कारण हैं जिनसे तनाव बढ़ता हैं, जो हमेशा से मौजूद हैं....

1. जरूरी कामों को टालते रहना और फालतू चीजों में टाइम पास करना,
2. शारीरिक अस्वस्थता 
3. खराब रिश्ते 
4. आर्थिक तंगी/ बेरोजगारी
5. अव्यवस्थित दिनचर्या
6.  दूसरों पर अत्यधिक निर्भरता 

    आदि....


    अपने आप को समझने की कोशिस करें अपनी समझ विकसित करें, अपनी आन्तरिक शक्तियों को याद कीजिये जो इस दुनिया में किसी भी चीज से कई गुना ज्यादा अधिक शक्तिशाली हैं, उन शक्तियों का आव्हान कीजिये, आपकी समस्याए और कोई भी तनाव उनके सामने टिक नहीं सकता, आप अपनी किसी भी समस्या का समाधान करने में और तनाव को दूर करने में सक्षम हैं, आप अपनी समस्या से बहुत बडे हैं और सबसे महत्वपूर्ण आप जीतने के लिए पैदा हुए हैं.


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1. खुद को और दूसरों को प्रेरित करना क्यों जरूरी है!


Wednesday, February 14, 2018

खुद को और दूसरों को प्रेरित करना क्यों जरूरी है/ why motivation is so important for any work

"अगर तुमने चमत्कार नहीं देखे तो खुद एक चमत्कार बन जाओ"
                                                                     - Nicholas James


चाहे कोई भी काम हो बिना प्रेरणा के उसे करना काफी मुश्किल होता है, जब हम किसी काम को करने के लिए प्रेरित होते हैं तो वह काम हम पूरे दिल से करते हैं जिससे उसे करने में हमे ख़ुशी का अनुभव तो होता ही है साथ ही वह काम भी अच्छे से पूरा हो जाता है.


       इसके विपरीत यदि किसी काम को हमे करना पड़ रहा है लेकिन हम उसके लिए प्रेरित नहीं हैं तो वह काम काफी उबाऊ हो जाता है जिससे हम उसे करना ही नहीं चाहते और यदि उसे करना जरूरी हो तो बेमन से उसे करते हैं जिससे उस काम में एक तो समय काफी लग जाता है दूसरा वह उतने अच्छे ढंग से पूरा भी नही हो पाता जैसे उसे होना चाहिए.

       

        किसी भी क्षेत्र में जब लोगों को प्रेरित किया जाता है तो लोग उस काम को और अच्छे ढंग से पूरा करने की कोशिस करते हैं, चाहे वह स्कूल में बच्चे हों, कोई कर्मचारी हों, खिलाड़ी हों, चाहे कोई भी हो हर व्यक्ति जब प्रेरित होकर काम करता है तो उसके काम में अलग आकर्षण होता है.



किसी काम को करने की प्रेरणा कहाँ से आती है 

किसीव्यक्ति को किसी काम को करने की प्रेरणा 2 प्रकार से आ सकती
है---  

1. बाह्य प्रेरणा/ External Inspiration (जो बाहर वस्तुओं से या अन्य लोगों से आती है)

2. आंतरिक प्रेरणा/ Internal Inspiration ( आंतरिक प्रेरणा हमारे अंदर से आती हैं)

1.  बाह्य प्रेरणा-  (External Inspiration) 



१.  जब आप किसी अन्य व्यक्ति को देखकर उसके जैसा बनना चाहते हैं, या


२.   किसी motivational speaker को सुनते हैं या कोई motivational किताब या विचार पढ़ते/ सुनते हैं, या


३.   किसी अच्छे काम के लिए आपको कोई इनाम मिलता है तो उस  काम को आप आगे से और अच्छा करने के लिए प्रेरित होते हैं,


४.  जब आपके काम करने पर ही आपको परिणाम मिलना हो, (फेल होंने का डर)


५.  जब किसी व्यक्ति की अन्य लोगों द्वारा प्रसंसा की जाती है,
               बाह्य प्रेरणा बाहर से आती है.




आंतरिक प्रेरणा (Internal Inspiration) 


     १.  आंतरिक प्रेरणा आपके अंदर से आती है, जब आपके अंदर से कुछ  बड़ा करने का जनून हो, या 

     २. जब आप दूसरों के लिए या देश के लिए कुछ बड़ा करना चाहते हों, या

     ३.  जब किसी समस्या का आप पूरे मन से समाधान निकलना चाहते हों,

     ४.  जब आप अपने काम में बहुत आनंद महसूस करते हों और उस काम को करने में आपको बहुत ख़ुशी मिलती हो,


    ऐसे बहुत से प्रेरक कारण है जिसकी वजह से कोई व्यक्ति अपना काम करता है, सच तो यह है की हर काम के लिए प्रेरणा की जरूरत होती है किसी काम को करने की जितनी अधिक प्रेरणा होगी वह काम उतना ही अच्छा होगा, और जितना बड़ा काम होगा उसके लिए उतने ही अधिक प्रेरणा की जरूरत होगी.




     जरा सोचिये आपको कोई काम दिया जाय जिसमे आपकी कोई रूचि नहीं है न ही आपका कोई फायदा, न ही किसी और को ही उसका फायदा है तो क्या आप उस काम को करेंगे, यकीनन नहीं करेंगे.

    

     प्रेरणा क्यों है जरूरी 

  मैंने बच्चों को देखा है जब उनको कोई काम करने के लिए कहो तो वे उस काम में कोई रूचि नहीं दिखाते, लेकिन जब उन्हें प्रोत्साहित करो की तुम बहुत intelligent हो तुम इस काम को बहुत अच्छे ढंग से कर सकते हो, तो वे खुश होकर तुरंत उस काम को कर देते हैं वो भी बिना देरी के चाहे वे उससमय अपना कितना ही पसंदीदा काम क्यों न कर रहे हों,


     किसी को प्रेरित करना उसकी उत्पादकता बढा देता है, सोचिये जब किसी बच्चे को पढाई के लिए प्रेरित किया जाता है, उसकी योग्यता की तारीफ की जाती है, या वो जो भी कर रहा है चाहे वह पढ़ रहा है या खेल रहा है या कोई भी दूसरा काम कर रहा है जब उसे प्रेरित किया जाता है तो वह तुरंत उत्साहित हो जाता है और उस काम को और भी अच्छे से करने लगता है, इसी प्रकार जब boss द्वारा किसी कर्मचारी की तारीफ की जाती है, खिलाडियों को उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए अवार्ड दिए जाते हैं, जब कोई आपके काम की तारीफ करता है, कहीं भी जब किसी को प्रेरित किया जाता है उसके काम पर सकारात्मक असर पड़ता है जिससे वह पहले से बेहतर काम करने लगता है.

   एक बार एक शिक्षक ने अपने 5th क्लास के छात्रों से एक खाली पेज अलग निकलने के लिए कहा, और उस पेज में अपने सभी सहपाठियों का नाम लिखकर उनकी कम से कम एक अच्छी आदत उनके नाम के आगे लिखने के लिए कहा, सभी छात्र अपने काम पर लग गये और कुछ समय बाद प्रत्येक बच्चे ने अपना पेपर शिक्षक को दिया, प्रत्येक पेज पर अन्य सभी छात्रों के नाम और  उनकी कम से कम एक खूबी लिखी हुई थी, शिक्षक ने computer पर प्रत्येक छात्र के नाम का अलग पेज बनाया और उसकी सारी खूबियों को उसमे लिख दिया, जो अन्य सभी बच्चों ने लिखी थी,

      दूसरे दिन सभी को उसके नाम का पेज दिया गया जैसे ही बच्चो के हाथ में उनकी तारीफों का पेज लगा और उन्होंने अपनी खूबियाँ पढ़ी वे उत्साहित हो उठे, कोई कहता मुझे नही पता था कोई मेरे बारे में इतना अच्छा भी सोच सकता है, कोई कहता मै इतना intelligent हु मुझे पता नहीं था, कोई कहता मेरे सहपाठी मेरी अच्छाईयों को भी जानते है, ऐसे ही कई तरह की बातें जो उस classroom में चल रही थी, अगले ही दिन से सभी छात्रों की performance में अत्यधिक सुधार हुआ और आने वाले कई सालो तक अधिकतम बच्चों ने वे नोट्स अपने पास सम्भालकर रखे.

    अत: आपको जहाँ भी किसी को प्रेरित करने का मौका मिले तो उसे न गवाएं, और सबसे जरूरी यदि आप कोई शिक्षक या अभिभावक हैं तो अपने बच्चों को प्रेरित करना कभी न भूलें, और फिर उनके काम में असर देखिये,

 

  
दूसरों की प्रशंसा करें

       इस दुनिया में एसा कौन होगा जो अपनी प्रशंसा से खुश और उत्साहित नहीं होगा, कोई भी इंसान अपनी प्रशंसा सुनकर कभी बोर नहीं हो सकता है, वह हमेशा खुश और प्रोत्साहित महसूस करता है. तो दूसरों की सच्ची प्रशंसा करना कभी न भूलें याद रखें इससे केवल वह इन्सान ही अच्छा महसूस नहीं करेगा बल्कि उसके मन में आपके लिए भी अच्छी भावना पैदा होगी, और वह भी आपकी अच्छाईयां देखना सुरु कर देगा, साथ ही आपमें सकारात्मकता बढ़ेगी.


       अधिकतर लोगों की आदत होती है दूसरों में कमियां ढूंढना और उनकी आलोचना करना, जिन लोगों की लगातार आलोचना की जाती है वे असफलता की तरफ बढने लगते हैं, वे उदास, निराश और हतोत्साहित होने लगते हैं, वे खुद को अक्षम समझने लगते हैं, याद रखें अपने आस-पास लोगों की हर बात पर आलोचना न करें बल्कि उनमे अच्छाईयां ढूंढे और उनकी तारीफ करें उनके अच्छे कामों की तारीफ करें, चाहे आपके आस- पास बच्चे हों, स्टूडेंट हों, आपके सहकर्मी हों, आपके परिवार के लोग हों, आपके दोस्त हों, कोई भी हों, आपको अंदाजा भी नहीं होगा की आपके शब्द उनके मन में किस प्रकार चमत्कारी तरीके से सकारात्मकता भर देते हैं और वे किस प्रकार अपने कार्य में सफलता हासिल करते हैं.


खुद की प्रशंसा करें 

     केवल दूसरों की ही नहीं, बल्कि खुद की प्रसंसा करना भी न भूलें, और कोई आपकी तारीफ करेगा, इसके लिए किसी पर निर्भर न हों क्योंकि हर कोई आपके जैसा समझदार नहीं होता जो ओरों की तारीफ करें, ज्यादातर लोग दूसरों की गलती करने का इंतजार करते हैं ताकि उनकी आलोचना कर सके, खुद को प्रेरित करें अपने काम के लिए, आगे बढने के लिए, आंतरिक रूप से खुद को प्रेरित करें, किसी काम को करने की बड़ी वजह ढूँढें. अपने जीवन की बड़ी वजह ढूंढें, बड़े सपने देखें, कुछ बड़ा करने के बारे में सोचे,बड़ा करने के लिए बड़ी प्रेरणा रखें, आपके पास कुछ करने की जितनी बड़ी वजह होगी आप उतने ही दृढ संकल्प से वह काम कर सकते हैं, किसी बड़े उद्देश्य के साथ अपने पसंद का करियर चुने, आपकी जीत अवश्य होगी.  


       अपनी खूबियों को देखें, खुद के अच्छे कामों की प्रशंसा करें ( किसी और से नहीं, अपने आप से अपनी तारीफ करें) और अपने हर अच्छे काम को पूरा करने पर खुद को कुछ इनाम जरूर दें ( जैसे कुछ पसंदीदा चीज खा ली, या कुछ अपने पसंद का गेम खेल लिया, कोई गाना सुन लिया आदि) इससे आप और अच्छे काम करने के लिए प्रोत्साहित होंगे. प्रशंसा से बोलने और सुनने वाले दोनों की सकारात्मक सोच का विकास होता है.

     " एक बाघ सोया हुआ है, उसे कोई भूख नहीं है तो वो तब तक कोई शिकार नही करेगा जब तक उसे भूख नहीं लगेगी, लेकिन जैसे ही उसे भूख लगेगी वह तुरंत उठेगा और अपने शिकार की तलाश में निकल जायेगा."

      उस बाघ की प्रेरणा उसकी भूख है उसे जितनी अधिक भूख लगेगी वह अपने शिकार के लिए उतनी मेहनत करेगा, इसीलिए अपने जीत/सफलता की भूख को आप जितना बढ़ाएंगे उतनी ही आप मेहनत करने लगेंगे और आपकी जीत उतनी ही निश्चित होगी.


प्रेरित करनें के फायदे 
   
   1.  सकारात्मकता बढती है,

   2.  प्रेरित होने वाले व्यक्ति के कार्यक्षमता बढती है,

   3.  अधिक ख़ुशी फैलती है,

   4. आत्मविश्वास बढ़ता है, 

   5. सफल होने के चांस बढ़ जाते हैं,

   6. व्यक्ति अधिक उत्साहित होकर काम करता है,

   7. आने वाले समय में काम के और बेहतर होने की सम्भावना रहती है,

   8. दूसरों को प्रेरित करने वाले के अंदर leader बनने के गुण पैदा होने लगते हैं.
  

      अत: कभी भी खुद को और दूसरों को प्रेरित करने के मौके न गवाएं और हमेशा खुद भी प्रेरित होकर काम करें और दूसरों को भी प्रेरित करें.
   

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Sunday, February 11, 2018

समृद्धि/अमीरी की मानसिकता बनाये/ ameeri ki mansikta banaye


                       

"कोई चीज लोहे को नष्ट नहीं कर सकती लेकिन इसका खुद का जंग कर सकता है, इसी प्रकार किसी व्यक्ति को कोई बर्बाद नहीं कर सकता लेकिन उसकी खुद की मानसिकता कर सकती है."
                                                                                                    - रतन टाटा



दोस्तों हर कोई सफल होना चाहता है, हर कोई अमीर बनना चाहता है, दरअसल यहाँ पर अमीरी का मतलब केवल पैसे से अमीर होना नही हैं बल्कि किसी भी योग्यता या गुण से अमीर होना हैं, मेरे हिसाब से हर किसी को अमीर बनने का पूरा अधिकार है और हर किसी को इसके लिए पूरे सामर्थ्य से प्रयास करना चाहिए.



         लेकिन लेकिन लेकिन.......




अधिकतर लोग अमीर तो बनना चाहते हैं खासकर पैसे से अमीर, लेकिन पैसे से अमीर लोगों से नफरत करते हैं, मुझे समझ नही आता, आखिर क्यों ? 

आखिर क्यों अगर देश में या कहीं भी कोई फैसला अमीरों के खिलाफ हो तो कुछ लोग खुश हो जाते हैं और अगर उनके पक्ष में हो तो वही लोग गुस्से और नफरत से भर जाते हैं, 

अधिकतर लोग अमीर लोगों को शक की नजर से देखते हैं उन्हें लगता है की हर कोई गलत तरीकों से अमीर बना है और किसी भी अमीर आदमी के बारे में कोई भी अफवाह फ़ैल जाय तो सब उसके खिलाफ हो जाते हैं और तरह तरह की गलत बाते करने लगते हैं. 





अपनी मानसिकता बदलें -

हो सकता है कुछ लोग तुक्के से या गलत तरीकों से अमीर बने हों लेकिन इन लोगों का प्रतिशत कितना होगा 1%, २%, 5%, ज्यादा से ज्यादा 10%, बाकि के 90% अमीर लोगों ने तो मेहनत ही की है न, उन्होंने या उनके माता पिता ने कड़ी मेहनत करके ही वह मुकाम हासिल किया है, तो उनकी मेहनत की सराहना करने और  उनसे सीखने के बजाये हम क्यों उनके विरोधी बन जाते हैं,




हमे अमीर लोगों से कुछ न कुछ फायदा होता ही है जैसे humour से अमीर लोगों से हमे हंसी मिलती हैं, प्रेरक लोगों से अच्छे करने की प्रेरणा, ख़ुशी से अमीर लोगों से ख़ुशी, अच्छे खिलाडियों से मनोरंजन होता है, आदि किसी भी क्षेत्र में कोई व्यक्ति संपन्न होता है तो उससे दूसरों को भी लाभ होता है.  






जैसे जितने भी उद्योगपति हैं वे लगभग सभी पैसे से अमीर होते हैं, और उनके उद्योगों में और कंपनियों में लाखों, करोड़ों लोगों को नौकरियां मिली हैं, करोड़ों लोगों के परिवार निर्भर हैं, लगभग सभी लोग उन उद्योंगों  में उत्पादित सामान को खरीदकर अपनी जरूरतें पूरा करते हैं यकीनन इससे उनका भी फायदा होता है लेकिन हमारा भी तो होता है, 

जरा सोचिये यदि हमारे देश में कोई भी अमीर आदमी, कोई भी उद्योगपति न होता तो हमारा जीवन कैसा होता, हर चीज के लिए हमे विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता, और यदि विदेशों में भी कोई अमीर न होता तो यह दुनिया कैसी होती. यकीनन समाज, देश व दुनिया के विकास में हर किसी का अपना रोल है अत: हम सभी को किसी न किसी क्षेत्र में समृद्ध अवश्य होना चाहिए. 



आपके जितने भी रोल माडल होंगे वे किसी न किसी क्षेत्र में समृद्ध अवश्य होंगे, और अपनी मेहनत से ही उस मुकाम पर पहुचें होंगे.




क्या M.S. धोनी, मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स, जैक मा, कपिल शर्मा, संदीप महेश्वरी, A.P.J. अब्दुल कलाम, धीरुभाई अम्बानी आदि.... भी तुक्के से ही उस मुकाम पर पहुचे जहाँ वे हैं या ये मुकाम उन्होंने कड़ी मेहनत से हासिल किया, 

अगर आपको उनकी मेहनत पर शक हो तो उनकी जीवनी जरूर पढ़ें, या किसी भी सफल आदमी की जीवनी उठाकर देखें आपके सारे शक दूर हो जायेंगे और उनके लिए आपके दिल में सम्मान भर जायेगा और आप उनसे जरूर प्रेरणा लेंगे.




चलो खुद को समृद्धि के लिए तैयार करें-

याद रखें आप जिसे अपनाते हैं उसी की तरफ बढने लग जाते हैं और जिससे नफरत करते हैं उससे दूर होते जाते हैं चाहे आप गरीबी अपनाये या अमीरी, ये सब आपके हाथ में ही होता है. 


आप जो विश्वास करेंगे वही बन जायेंगे, अगर आप अमीरों से नफरत करते हैं तो सीधे से आपके दिमाग में इसका गलत संकेत जायेगा, चाहे आपको पता चले या नहीं और आपका दिमाग कभी अमीर बनने के लिए न तो तैयार होगा और न ही आपके अमीर बनने में कोई मदद करेगा.






हम जो बनना चाहते हैं उसी से हमे नफरत हो तो हम वह कैसे बन पाएंगे  मुझे यकीन है आप अमीर बनना चाहते हैं. तो अपने अंदर के बिरोधाभास को खत्म कीजिये और उन लोगों का सम्मान करना सुरु कर दीजिये जो अपनी मेहनत की बल पर ऊचाई तक पहुचे हैं उनको कोसने के बजाये उनसे सीखिए उनके प्रयासों, लगातार कोशिशों और मेहनत से सीखिए. यकीनन यह सब करके आप उनका कोई फायदा नही करेंगे बल्कि अपनी ही मदद करेंगे यह सब करके आप अपने लिए समृद्धि के दरवाजे खोल रहे है. 





आजकल मैं देखती हूँ हर जगह लोग विरोधभास वाली सोच रखते हैं चाहते कुछ और हैं और करते कुछ और ही हैं, जैसे- सबको शहरों, गावों, सडकों में सब जगह सफाई चाहिए लेकिन जहाँ चाहे वहीं खुद कूड़ा फेंक देते हैं, हर किसी को देश में एकता चाहिए लेकिन खुद धर्म, जाति के नाम पर लड़ते रहेंगे, 

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हर किसी को पर्याप्त पानी चाहिए लेकिन पानी बर्बाद करते रहेंगे, देश को विश्व गुरु बनते देखना चाहते हैं लेकिन बहुत ही छोटी सोच रखेंगे, हर रोज सोशल मीडिया पर ढेर सारे Motivational मैसेज शेयर करेंगे लेकिन उनमे से खुद एक भी नही अपनाएंगे, ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिलते हैं.



   

"मानसिक उपलब्धि पहले आती है उसी के बाद भौतिक उपलब्धि आ सकती हैं"      
                                                                                                        - जोसेफ मर्फी 


आपको सबसे पहले मानसिक रूप से खुद को सफलता के लिए तैयार करना होगा, आप जब तक अपने दिमाग व मन को सफलता और अमीरी के लिए तैयार नहीं करते आप सफलता या अमीरी से दूर ही रहेंगे.





दोस्तों हम जिसे अपनाते हैं वही बन जाते हैं, तो फिर क्यों न समृधि अपनाई जाये, क्यों न खुद को थोड़े से में ही संतुष्ट रखने के बजाये बहुतायत चुना जाये, समृद्ध लोगों की आलोचना करने के बजाए उनसे कुछ सीखा जाय, उनके प्रयासों, मेहनत, कुछ अलग करने का जज्बा, धैर्य, साहस, दृढ संकल्प और समर्पण आदि गुणों से सीखा जाय. 

यकीनन अमीर और सफल लोगों का सम्मान करने मात्र से आप सफल या अमीर नहीं हो जायेंगे लेकिन आपके सफल होने का दरवाजा और उस दिशा में बढने का दरवाजा अवश्य खुल जायेगा फिर आप अपने सही निर्णय, विश्वास, मेहनत, लगन, दृढ संकल्प आदि के द्वारा सफलता हासिल कर सकते हैं.  





Conclusion

याद रखें  समृद्धि/अमीरी का मतलब केवल पैसे से नहीं हैं, बल्कि समृद्धि/अमीरी का अर्थ किसी भी क्षेत्र में बहुतायत हासिल करना हैं जैसे- बहुत अधिक खुसी, सम्मान, प्रेम, धन, सफलता, परिवार का प्रेम, अच्छे विचार आदि, जिस भी क्षेत्र में आप समृद्धि हासिल करना चाहते हैं इसके लिए उन लोगों के बारे में पढ़ें, सुने और जाने जो यह सब पहले ही हासिल कर चुके हैं.    


दोस्तों इस पर यदि आपके कोई विचार हैं, या आप इसमें कुछ जोड़ना चाहते हैं या किसी बात से सहमत नहीं हैं तो अपने comment में लिखे. 

      


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Thursday, February 8, 2018

कैसे मैंने easy तरीके से 3 बेहतरीन आदतें अपनाई /How I changed my habits


         आज मै आपको बताउंगी की कैसे मैंने अपनी 3 सकारात्मक आदतें बहुत आसान तरीकों से अपनाई,



     
हमारी सफलता, ख़ुशी, अच्छे रिश्तों, आत्मविश्वास आदि में आदतों का बहुत ही बड़ा अहम रोल होता है,

यदि आपकी आदतें अच्छी हैं (अच्छी आदतें जैसे- खुश रहना, दूसरों की मदद करना, हर काम समय पर पूरा करना, सकारात्मक होना, योग-ध्यान करना, समय का सदुपयोग करना आदि) तो जीवन आपके लिए काफी आसान हो जाता हैं और सफलता को हासिल करना भी सरल हो जाता है,

जबकी बुरी आदतें जैसे आलस, काम को टालना, मोबाइल का अनावश्यक इस्तेमाल करना, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करना आदि बहुत सी आदतें आपकी सफलता में और खुशियों में रुकावट बन सकती है.



अच्छी आदतें अपनाना मुश्किल है लेकिन उनके साथ जीना आसान है, बुरी आदतें अपनाना आसान है लेकिन उनके साथ जीना मुश्किल है.
                                                                                                                         - शिव खेड़ा



अच्छी और बुरी आदतें हम सभी के अंदर होती हैं यदि हम बुरी आदतों को दूर करते जाए और अच्छी आदतों को अपनाते जाए तो यकीनन हम न सिर्फ एक अच्छे इंसान बन जायेंगे बल्कि सफलता भी हासिल कर लेंगे, 

तो मैं आज आपको उन 3 आदतों के बारे में बताउंगी जो मैंने खुद छोटे प्रयासों और आसान तरीकों से अपनाई, 


ये आदते इस प्रकार हैं.....

1. सुबह जल्दी उठना,

2. Daily Exercise करना,

3. हर काम समय पर पूरा करना.


1. सुबह जल्दी उठना  -  

मैंने कई बार सुबह जल्दी उठने की कोशिस की लेकिन सुबह जैसे ही अलार्म बजता था, मैं अलार्म बंद करके फिर सो जाती थी, 

लेकिन कई बार जब सुबह जल्दी उठना जरूरी होता था तो नींद अपने आप खुल जाती थी (जैसे कोई एग्जाम है या कहीं जाना है आदि.. ). फिर मैंने सोचा जब मैं जरूरी टाइम पे जल्दी उठ सकती हूँ तो फिर हमेशा क्यों नहीं,



जब हमे दूसरे दिन जल्दी उठना जरूरी होता है तो हम पहले रात को निश्चय कर लेते हैं की हमे कल सुबह जल्दी उठना है यही दृढ निश्चय हमारे अवचेतन मन में दृढ़ता से बैठ जाता है और वह हमे सही समय पर जगा देता है, 


इसी तरीके को अपनाते हुए मै हमेशा रात को सोने से पहले निश्चय कर देती हूँ की मुझे कल 6 बजे उठना है चाहे कुछ भी हो जाये और ज्यादातर समय मेरी नींद अलार्म बजने से पहले ही खुल जाती है और मैं तुरंत ही उठ खड़ी होती हूँ बिना समय गवाएं. 



      दोस्तों अगर आप भी सुबह जल्दी उठने की आदत बनाना चाहते है तो रात को सोने से पहले निश्चित कर लें कि आपको कितने बजे उठाना है, 

कई बार आप अलार्म भी लगाते होंगे लेकिन फिर भी सुबह जल्दी नही उठ पाते और अलार्म बंद करके फिर सो जाते होंगे, 

ये इसलिए होता है क्योंकि आप रात को अपने अवचेतन मन को निश्चित निर्देश नही देते हैं 

और उसे यह कहकर कंफ्यूज करते हैं की 5 बजे उठना तो है लेकिन थोड़ी देर और सो भी जांऊ तो कोई बात नही इससे आपके अवचेतन मन को निश्चित सन्देश नही मिलता और आप कितनी भी कोशिस कर ले सही समय पर नही उठ पाते.



इसके विपरीत यदि आप रात को सोने से पहले ये निश्चित कर लें कि आपको ठीक 5 बजे (या जितने बजे भी आप उठना चाहते हैं) उठना है और 5 बजे का अलार्म लगा दीजिये, 

याद रखें की 5 बजे उठना है तो उठना है कोई और विकल्प नहीं हैं तो यकीनन नींद खुद खुल जाएगी नही तो अलार्म बजने पर आप उसे बंद कर दोबारा नही सोयेंगे. 


रोज रात को सोने से पहले दृढ निश्चय करे की जल्दी उठाना है तो धीरे-धीरे यह आपकी आदत बन जाएगी. 

याद रखें यदि आप अभी 8 बजे उठतें हैं तो अभी बहुत जल्दी उठने के बारे में न सोचे बल्कि आधा घंटा पहले (यानि 7:30बजे ) उठे, 

कुछ दिन तक इसी टाइम पर उठने के बाद 7 बजे उठें फिर धीरे-धीरे करके अपना समय जल्दी उठने का करें और एक दिन आप पाएंगे की आप बड़ी आसानी से 5 बजे उठ पा रहें हैं.

                                    तो जल्दी उठने का बेहतरीन तरीका है --(दृढ निश्चय करें)  



2. सुबह Exercise कैसे करें--- 
 


     सुबह exercise जरूरी है इससे हमारा शरीर जो रात को सोने से जकड़ा और सुस्त हो जाता  है exercise करने से एक्टिव हो जाता है और हमारा शरीर और दिमाग पूरे दिन के लिए तरोताजा हो जाते हैं, 

हम सब यह सब जानते तो हैं लेकिन इसे आदत नही बना पाते. 


मैंने भी कई बार एक्सरसाइज सुरु की लेकिन कुछ दिन के बाद फिर यह बोरिंग लगने लगी और मैंने इसे छोड़ दिया, लेकिन अब मै हर सुबह एक्सरसाइज करती हु, 


दरअसल मैं Exercise का बहुत ही अलग तरीका अपनाती हूँ, मैं सुबह उठकर कोई फ़ास्ट म्यूजिक लगाकर एक Exercise करती हूँ,  

इससे पूरा शरीर एक्टिव हो जाता है साथ ही इसमे कोई उबाऊ पन भी नही होता और इसे लम्बे समय तक करना भी बहुत आसान होता है.


जरूर पढ़ें...how I use Affirmation for positive mindset in hindi/Affirmation in hindi



यदि आप music पर Exercise करने के बजाय डांस करना पसंद करें तो आप एसा भी कर सकते हैं , 

इससे भी आपको exercise करने के पूरे फायदे मिलते हैं या इससे भी ज्यादा खुसी और अंदर से आनंद महसूस होता है और आप पूरे दिन के लिए ख़ुशी से तैयार हो जाते हैं.

इसके आलावा आप अपने पसंद की EXERCISE, योग, डांस आदि कर के अपनी सुबह को ज्यादा ACTIVE और HAPPY बना सकते हैं,

                         Exercise का बेहतरीन तरीका --Exercise With Music and Interest)



3. किसी भी काम को समय पर कैसे पूरा करें--


 मेरी बचपन से ही एक problem रही है मैं कितनी भी कोशिस करूं अपने कई काम समय पर पूरा नही कर पाती जिससे कई काम तो अधूरे रह जाते, 

तो कोई अगर पूरे हो भी जाते, तो और काम छूट जाते जिससे मुझे बचपन से ही काफी प्रॉब्लम होती थी, लेकिन अब ऐसा नही होता क्योंकि अब मैं जो तरीका अपनाती हूँ उससे न केवल सही समय पर अपना हर काम पूरा कर लेती हूँ बल्कि कई काम समय से पहले ही पूरे कर लेती हूँ, 


और यह तरीका है time fix करना,


     जी हाँ, यदि किसी काम को करने के लिए मेरे पास 50 मिनट का समय है तो मैं उसे सुरु करते समय निश्चित कर देती हूँ की मुझे यह काम 40 मिनट में पूरा करना है 

फिर मेरा पूरा फोकस उसी काम पर आ जाता है यदि बीच में ध्यान भटक भी जाये तो फिर मै अपना 40 मिनट का समय याद करती हूँ और फिर अपने आप ही मेरा पूरा ध्यान और फोकस उसी काम पर लग जाता है 

जिससे वह काम 40-45 मिनट में पूरा हो जाता है जबकि वही काम पहले 60-70 मिनट में पूरा होता था. 

       

यह एक बहुत ही कारगर तरीका है जिससे मुझे अपने ध्यान को न सिर्फ  एक जगह लगाने में मदद मिली बल्कि मैं अपने अधिकतर काम समय से पहले ही पूरे कर लेती हूँ. 

इस तरीके की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमे मेरा पूरा ध्यान उसी काम पर होता है, जिससे वह काम बहुत ही अच्छे ढंग से पूरा होता है.

                किसी भी काम को समय पर पूरा करने के लिए -- निश्चित समय निर्धारित  करें)


हमारा जीवन एक अनुभव है, इसमे आप जितने अधिक प्रयोग करते हैं उतना ही इसे बेहतर बनाते हैं,
                                                                                                                          -राल्फ वाल्डो एमर्सन 
                           
दोस्तों ये 3 आदतें अगर आप भी अपनाना चाहते हैं तो एक बार उपर्युक्त तरीकों को अपनाकर देखिये ये जरूर आपके लिए फायदेमंद होंगी.

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