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Thursday, December 28, 2017

Be Expert in your job-hindi story, काम में निपुण बनिए

दोस्तों अक्सर हम जिंदगी में अपने फ्यूचर को लेकर या किसी काम को लेकर confuse रहते हैं क्योकिं  हमे जिंदगी में हर समय विकल्प मिलते रहते हैं और कई विकल्पों में से हमे किसी एक विकल्प को चुनना पड़ता है,



         जैसे अपने करियर को लेकर इंजीनियरिंग करें या बिज़नस करें या writer बने या डिज़ाइनर बने! और भी बहुत से विकल्प. लेकिन कई बार हम किसी काम को चुन तो लेते हैं लेकिन हमारे मन में यही संका बनी रहती है की ये निर्णय हमारा सही है या नहीं, जिसके कारण हम उस काम में फोकस नहीं कर पाते और उस काम को  ठीक से पूरा नहीं कर पाते 


जिससे अक्सर उसे बीच में ही छोड़ देते है और हमे लगता है की हमारा निर्णय गलत था,जबकि यदि किसी भी काम को पूरे फोकस के साथ किया जाय तो उसमे सफलता पाई जा सकती है.


     इसे एक कहानी के माध्यम से समझते हैं........


      दो भाई थे, अजय और आशीष. अजय अपने निर्णय खुद लेता जबकि आशीष निर्णय लेने के लिए दूसरों पर निर्भर होता तथा हमेशा कंफ्यूज रहता.  अजय हमेशा बड़ा बनने के लिए प्रयास करता,वह हमेशा से अमीर बनने के सपने देखता था, कोई भी काम सीखने के लिए हमेशा तैयार रहता और निडरता से हर काम सीखने के लिए तत्पर रहता  चाहे वह  काम उसके काम से सम्बन्धित हो या न हो. यदि उसके पास उससे जरूरी काम न हो तो वह कोई भी नइ चीज सीखने में पीछे नही हटता 



     जबकि आशीष हमेशा कंफ्यूज, डरा हुआ रहता और केवल जरूरी काम ही करता वो भी तब जब उसे करना बहुत जरूरी हो जाय. इस प्रकार अजय जहाँ नई नई चीजे सीखकर अपने ज्ञान का दायरा बढ़ा रहा था वहीं आशीष अपनी छोटी सोच के कारण सीमित ज्ञान के साथ जी रहा था.



      एक बार उनके पिता दोनों के लिए अलग अलग  कंप्यूटर लेकर आये दोनों अपने लिए कंप्यूटर देखकर काफी खुश और excited थे, कंप्यूटर आते ही अजय ने नई नई चीजे सीखना सुरु कर दिया जबकी आशीष काफी टाइम तक यही सोचता रहा की अभी तो कंप्यूटर आया ही है मैं तो कभी भी सीख लूँगा, काफी समय बाद उसने कंप्यूटर चलाना सुरु तो कर दिया लेकिन फिर कंफ्यूज हो गया की क्या ये मेरे लिए सही है क्या मुझे कुछ और करना चाहिए क्या इससे मेरी पढाई पर कोई बुरा असर तो नहीं पड़ेगा और भी बहुत कुछ और वह किसी भी काम में फोकस नहीं कर पाता न कंप्यूटर में, न पढाई में. वह कंप्यूटर को सम्भाल के रखता न उसका इस्तेमाल खुद करता, न किसी और को करने देता, उसे डर था कहीं उसका कंप्यूटर खराब न हो जाय वो बस अपने डर के साथ ही जीता रहा 



     जबकि अजय लगातार नई चीजे सीखता, कंप्यूटर से सम्बन्धित अलग अलग किताबें पढ़ता, कंप्यूटर के जानकार लोगों से मिलता उनसे सीखता, internet से जानकारियां जुटाता और हर तरह से जिस प्रकार भी वो सीख सकता था वह पूरे फोकस से सीखता. कम्प्यूटर के समय वह पूरा फोकस उस पर लगाता और पढाई के समय पढाई पर, जिससे दोनों में ही वह अच्छा ज्ञान हासिल कर पा रहा था.





       धीरे धीरे अजय कंप्यूटर में एक्सपर्ट बन गया उसे कंप्यूटर का बहुत अच्छा ज्ञान हो गया लेकिन वो वहां भी नही रुका और आगे भी सीखता गया फिर उसने कंप्यूटर दूसरो को सीखाना भी सुरु कर दिया और इसी काम में अपना करियर बनाने का फैसला कर लिया धीरे धीरे उसके पास सैकड़ों लोग सीखने के लिए आने लगे और वह बहुत अच्छे पैसे भी कमाने लगा, अब वह इतने पैसे कमाता था की कई कंप्यूटर एक महीने की कमाई से खरीद सकता था,  



     वही दूसरी और आशीष अभी तक कंप्यूटर की बेसिक जानकारी भी नहीं सीख पाया था, वह अपने डर से कुछ भी करने का साहस नहीं जुटा पाया और बस जिंदगी में संघर्ष ही करता रहा.



       
        एक कहावत अक्सर हम सब सुनते हैं की जितनी चादर हो उतने ही पांव पसारने चाहिय, लेकिन मैं इस कहावत से विपरीत सोचती हूँ  मैं सोचती हूँ जितना आप पांव पसारना चाहते हैं चादर को उतना बड़ा कर दीजिये.


      यानि की कुछ बड़ा  बनने की चाह रखना कोई गलत बात नहीं है किसी भी इंसान को बड़ा सोचने का बडा बनने का पूरा हक है और हर इंसान को इसके लिए प्रयास करना चाहिए यदि हम कोइ भी काम पूरे फोकस से करे तो उस काम में हम धीरे-धीरे एक्सपर्ट बन जायेंगे और किसी भी काम में एक्सपर्ट बनना हमारे लिए अवसरों को खोलता हैं जो हमे तरक्की की तरफ ले जाता हैं, परन्तु याद रखें फोकस हमेशा काम पर रखें पैसे पर नहीं.



        दोस्तों ये पोस्ट आपको कैसी लगी comment जरूर करें... यदि आप अपने सुझाव देना चाहते हैं या आपको इसमे कोई शिकायत है तो कमेंट में लिखें, 


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